मसीही प्रार्थनाओं का महत्व
मसीही प्रार्थना में कई तरह की प्रार्थनाएँ होती हैं जैसे धन्यवाद की प्रार्थना, सुबह की प्रार्थना, रात की प्रार्थना, खाने से पहले की प्रार्थना, और वे प्रार्थनाएँ जो चंगाई (चिकित्सा), क्षमा, शक्ति, परेशानी, मार्गदर्शन पर केंद्रित होती हैं, जिसमें पिता (परमेश्वर), पुत्र (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा का आभार, स्तुति और महिमा भी शामिल होते हैं। जिस प्रकार हमारी समस्याएँ अलग-अलग प्रकार की होती हैं, उसी प्रकार उन समस्याओं का सामना करने के लिए भी अलग-अलग प्रार्थनाएँ होती हैं जो आपको आत्मिक रूप से मज़बूत और विश्वासयोग्य बने रहने में सहायता करेंगी।
आइए, हम उन सभी प्रार्थनाओं के विषय में विस्तार से जानें और सीखें कि कैसे हम प्रार्थनाओं के द्वारा अपने आत्मिक जीवन में उन्नति कर सकते हैं।
1.धन्यवाद की मसीही प्रार्थना
जैसे हम अपने सांसारिक जीवन में, जब कोई हमारे लिए कुछ करता है तो हम उनको धन्यवाद देते हैं, वैसे ही हमें अपने रचनेवाले को भी धन्यवाद देना है, क्योंकि वह हमें हर दिन एक नया जीवन देते हैं जीने के लिए।
और प्रभु का वचन भी यही कहता है: “हर बात में धन्यवाद करो, क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु की यही इच्छा है” (1 थिस्सलुनीकियों 5:18)।
प्रत्येक दिन की धन्यवाद की प्रार्थना:
“धन्यवाद प्रभु! आपने हमें एक नया जीवन दिया है, हमें हर एक परेशानी से निकाला, इसके लिए हम आपका धन्यवाद देते हैं। हम मर-मिट नहीं गए यह आपकी महा करुणा का फल है पिता। हमें जीवित रखा है खुदावन्द, इसके लिए भी हम आपका धन्यवाद देते हैं। प्रभु! आपने हमारी ज़रूरतों को पूरा किया, इसके लिए भी आपका धन्यवाद।और हम यह विश्वास करते हैं कि पवित्र आत्मा इसी प्रकार अपनी अगुवाई में हमें ले चले और इस योग्य बनाए कि विभिन्न परिस्थितियों में भी हम आपको धन्यवाद देने वाले होने पाएं।
सारी चीज़ों में प्रभु! आपको आदर, इज़्ज़त, महिमा और धन्यवाद मिलने पाएँ। आमीन।”
2.सुबह की मसीही प्रार्थना
हम सभी जानते हैं कि भोर के समय प्रार्थना करने से हमारा पूरा दिन आशीषित रूप से व्यतीत होता है, और परमेश्वर ने नया दिन हमारे जीवन में जोड़ दिया है तो पूरा दिन अच्छे तरीक़े से बीते इसके लिए हमें सुबह अपनी व्यक्तिगत प्रार्थना ज़रूर करनी चाहिए। इससे आपके आत्मिक जीवन में उन्नति होगी। और यदि आप सुबह प्रार्थना में बैठते हैं तो भोर का समय उचित रहता है, जैसे 4 से 6 बजे तक, क्योंकि प्रभु के वचन में यह लिखा भी है: “हे यहोवा! भोर को मेरी वाणी तू सुनता है; भोर को मैं तेरे लिए बलिदान तैयार करके जागता रहता हूँ” (भजन संहिता 5:3)।
हर दिन सुबह की प्रार्थना:
“जीवित अनुग्रहकारी प्रिय पिता, हम आपका धन्यवाद करते हैं खुदावंद, आपने हमें एक नया दिन, एक नया जीवन दिया है। आज पूरे दिन हम जो कुछ भी कार्य करते हैं, उन सभी कार्यों से आपको महिमा मिलने पाए। प्रभु, आज हम जहाँ कहीं भी जाते हैं, आप हमारी अगुवाई करें। और पवित्र आत्मा हमें पूरे दिन भर संभाले रखे, और हर एक मुसीबत और कठिनाइयों का सामना करने का साहस दे। अतः पूरे दिन को मैं आपके हाथों में समर्पित करता हूँ, सारी आदर, इज्जत, महिमा आपको मिले। आमीन।”
3. क्षमा की मसीही प्रार्थना
हम सभी अपने सांसारिक जीवन में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने आत्मिक जीवन पर ध्यान नहीं दे पाते, जिसके कारण हमारे आत्मिक जीवन की उन्नति कहीं न कहीं रुक जाती है, जो हमें पिता और पवित्र आत्मा से दूर ले आती है। और इसी वक्त शैतान आपको भटकाने की कोशिश करता है।जब कभी हमसे कोई गलती हो जाती है या हम कुछ ऐसे कार्य करते हैं जो परमेश्वर की सम्मुख उचित नहीं है, तब हमें पिता और पवित्र आत्मा से क्षमा माँगने की आवश्यकता है। यदि हम अपने गुनाहों को स्वीकार करें और उसका पश्चाताप करें, तो प्रभु हमें अवश्य क्षमा करेंगे,क्योंकि हमारा परमेश्वर उदारता से क्षमा करने वाला परमेश्वर है, और बाइबल कहती है: “यदि हम अपने पापों को स्वीकार कर लें, तो वह विश्वासयोग्य और न्यायी है, और वह हमें हमारे पापों को क्षमा करेगा और सभी अधर्म से शुद्ध करेगा” (1 यूहन्ना 1:9)।
प्रार्थना करते समय हमें सबसे पहले अपने गुनाहों को स्वीकार करना है, फिर उसके लिए क्षमा माँगना है।
क्षमा के लिए प्रार्थना:
“प्रिय पिता, हम आपका धन्यवाद देते हैं, आपने इस वक्त हमें अपने सम्मुख लाया है ताकि हम अपनी गलतियों को स्वीकार कर आपसे क्षमा माँग सकें। खुदावंद, हम दुआ करते हैं, जाने-अनजाने में हमसे जो भी गलतियाँ हुई हैं, उसके लिए आप हमें क्षमा करें और शैतान के हर एक भटकाने वाली आत्मा से बचाए रखें, क्योंकि आपका वचन कहता है: ‘धर्मी अगर सात बार भी गिरे तो भी उठ खड़ा होता है'(नीतिवचन २४:१६)प्रभु, हम अपना जीवन आपके हाथों में समर्पित करते हैं। आमीन।”
4. चंगाई की मसीही प्रार्थना
“जब हम किसी रोग से ग्रसित होते हैं या हमें कोई बीमारी होती है तो हम सबसे पहले डॉक्टर के पास जाकर उसकी दवाई लेते हैं ताकि हम चंगे हो सकें, परन्तु क्या हम सिर्फ दवाइयों से ठीक हो सकते हैं? मसीही जीवन में यदि आप किसी बीमारी के शिकार होते हैं तो सबसे पहले हमें परमेश्वर से प्रार्थना करने की आवश्यकता है, वह हमारा ज़िन्दा खुदा है जो हमें पूर्ण रूप से चंगा करता है। जब हम बीमारी की अवस्था में प्रार्थना करते हैं तब पवित्र आत्मा हमें छू कर चंगा करता है क्योंकि प्रभु यीशु मसीह का लहू उस कलवरी पर बहा ताकि हम चंगे हो सकें।”
बाइबल भी कहती है: “परन्तु वह हमारे अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी शान्ति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएँ” (यशायाह 53:5)।
चंगाई पाने के लिए प्रार्थना:
“जीवित खुदावंद, इस वक्त हम आपके सम्मुख आते हैं, और विश्वास के साथ यह प्रार्थना करते हैं कि, ‘पिता मैं शारीरिक रूप से निर्बल हूँ, मुझे बल दीजिए। शरीर के जिस अंग में मुझे तकलीफ़ है, आप छू कर मुझे पूर्ण रूप से चंगा करें, जिसके द्वारा मैं एक नई गवाही बन सकूँ, आपके पवित्र नाम में आमीन।”
5. भोजन करने से पहले की मसीही प्रार्थना
“प्रतिदिन में हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं वह परमेश्वर हमारे लिए उपाय करते हैं, और हमें उन सभी के लिए उनको धन्यवाद देना चाहिए। क्योंकि जब यीशु मसीह अपने चेलों के साथ भोजन कर रहे थे तब उन्होंने उसे ग्रहण करने से पहले, रोटी ली और परमेश्वर का धन्यवाद किया, ताकि हम इससे सीखें और भोजन करने से पहले परमेश्वर को धन्यवाद दें। यह हमारी धार्मिकता को दर्शाता है।”
बाइबल में भी यह लिखा हुआ है: “और यह कहकर उसने रोटी लेकर सबके सामने परमेश्वर का धन्यवाद किया; और तोड़कर खाने लगा” (प्रेरितों के काम 27:35)।
भोजन के समय की प्रार्थना:
“पवित्र आत्मा, हम आपका धन्यवाद करते हैं, आपने हमें यह भोजन दिया है। इसे आशीष दें, और जिसने भी इसे बनाया है उसे बहुतायत से आशीष दें, यीशु के पवित्र नाम में। आमीन।”
6. रात की मसीही प्रार्थना
“जब पूरा दिन हमारा अच्छे से व्यतीत होता है, तो बिस्तर में जाने से पहले हमें अपना व्यक्तिगत प्रार्थना ज़रूर करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर हमें पूरे दिन अपनी अगुवाई में ले चलता है, जिसके लिए हमें उनका धन्यवाद देना चाहिए। और पूरे दिन पवित्र आत्मा हमें सँभालता है।और हमें सारे बोझ से मुक्त करता है।
बाइबल कहती है: “हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे हुओं, मेरे पास आओ; और मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती 11:28)।
सोने से पहले की प्रार्थना:
“जीवित खुदावंद, हम आपका धन्यवाद करते हैं, क्योंकि आपने हमें पूरे दिन सँभाल कर रखा। हमने जो कुछ भी किया उसमें आपने हमारी अगुवाई करी, और अभी इस रात्रि की घड़ी में लाया ताकि हम आपका धन्यवाद कर सकें। प्रभु, इस रात्रि की घड़ी में हम आपसे दुआ करते हैं कि हम सभी को अच्छी नींद प्रदान करें और अपने स्वप्न-दर्शन के द्वारा हमसे बातें करें, और अपने स्वर्गदूतों की छावनी हम पर बनाए रखें। पिता और पवित्र आत्मा के नाम से, आमीन।”
7. नए विश्वासियों के लिए सरल मसीही प्रार्थना
“यदि आप मसीही में नए हैं, और आप प्रार्थना करना सीखना चाहते हैं, तो आप शुरुआत प्रभु की प्रार्थना के साथ कर सकते हैं, जो प्रभु यीशु मसीह ने अपने वचन के द्वारा हमें दिया है, कि हमें किस रीति से प्रार्थना करनी चाहिए। आपके हृदय में जो भी इच्छाएँ और याचनाएँ हैं वो आप प्रभु के सामने रखें, और यह विश्वास करें कि वो आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर ज़रूर देंगे।”बाइबल कहती है: “किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर परिस्थिति में प्रार्थना और विनती के साथ धन्यवाद करते हुए, अपनी याचनाएँ परमेश्वर के सामने रखो” (फिलिप्पियों 4:6)।
सरल मसीही प्रार्थना (प्रभु की प्रार्थना):
“हे हमारे पिता, आप जो स्वर्ग में हैं, आपका नाम पवित्र माना जाए, आपका राज्य आए, आपकी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे ही पृथ्वी पर भी हो। हमारी दिनभर की रोटी आज हमें दें; और जिस प्रकार हमने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही आप भी हमारे अपराधों को क्षमा करें। और हमें परीक्षा में न डाल, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य, पराक्रम, और महिमा सदा आपकी ही है। आमीन।”
सारांश
“प्रार्थना हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हमें अपने आत्मिक जीवन में या सांसारिक जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी महसूस हो रही है तो हम विश्वास के साथ प्रार्थना में बैठ सकते हैं। प्रार्थना करने से विभिन्न प्रकार की मुसीबतों से डटकर सामना करने का साहस मिलता है, और जीवन में शांति भी आती है। प्रार्थना करने से कई बंधन टूटते हैं, और आपके आत्मिक जीवन की बढ़ोतरी होती है। जब आप प्रार्थना के साथ कोई भी कार्य करते हो तो वह ज़रूर सफल होता है। यदि आप अपने जीवन में प्रार्थना को प्रथम स्थान देते हैं, तो पवित्र आत्मा आपको अपनी अगुवाई में ले चलता है, और शैतान की कोई भी शक्ति आपको छू नहीं पाएगी।”
प्रार्थना करते वक़्त आपका परमेश्वर पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि प्रभु ने अपने वचन में कहा है कि “तुम चंगे अपने विश्वास के वजह से हुए हो”।
यदि आपका विश्वास, परमेश्वर पर है तो आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर आपको ज़रूर मिलेगा।