यूहन्ना की पत्री (1 John) नए नियम की तेईसवीं पुस्तक है, जो सत्य, प्रेम, और ईश्वर के साथ संबंध के विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है। लेखक यूहन्ना, जो यीशु के शिष्य और अंतिम सुसमाचार लेखक हैं, ने यह पत्री उन ईसाइयों को लिखा जो विश्वास में संदेह और झगड़ों का सामना कर रहे थे।
मुख्य विषय:
- ईसाई प्रेम:
- सच्चे प्रेम के सिद्धांत, प्रेम के कार्य, और ईसाई जीवन में प्रेम का महत्व।
- सत्य और झूठ:
- सत्य की पुष्टि, झूठे शिक्षकों की पहचान, और उनके खिलाफ सतर्क रहने की सलाह।
- ईश्वर और उसके बच्चे:
- ईश्वर के साथ सच्चे संबंध की महत्वपूर्णता, और विश्वासियों के ईश्वर के बच्चों के रूप में जीवन जीने का आह्वान।
प्रमुख खंड:
- ईसाई प्रेम (अध्याय 1-3):
- सच्चे प्रेम के सिद्धांत, प्रेम के कार्य, और ईसाई जीवन में प्रेम का महत्व।
- सत्य और झूठ (अध्याय 4):
- सत्य की पुष्टि, झूठे शिक्षकों की पहचान और उनके खिलाफ सतर्क रहने की सलाह।
- ईश्वर और उसके बच्चे (अध्याय 5):
- ईश्वर के साथ संबंध, विश्वासियों का ईश्वर के बच्चे के रूप में जीवन, और धार्मिक जीवन के सिद्धांत।
संरचना:
- अध्याय 1-3:
- प्रेम के सिद्धांत, प्रेम का महत्व, और ईसाई जीवन में प्रेम का योगदान।
- अध्याय 4:
- सत्य की पुष्टि, झूठे शिक्षकों का विरोध और सत्य के प्रति ईसाई विश्वास।
- अध्याय 5:
- ईश्वर के साथ संबंध, विश्वासियों का ईश्वर के बच्चे के रूप में जीवन, और धार्मिक जीवन के सिद्धांत।
विशेषताएँ:
- ईसाई प्रेम:
- प्रेम की वास्तविकता और उसके कार्य, और प्रेम को विश्वास के सत्य के रूप में प्रस्तुत करना।
- सत्य और झूठ:
- सत्य की पुष्टि और झूठे शिक्षकों का विरोध, और विश्वास के असत्य पहलुओं को स्पष्ट करना।
- ईश्वर और उसके बच्चे:
- ईश्वर के साथ सच्चे संबंध और विश्वासियों का धार्मिक जीवन, और ईश्वर के बच्चे के रूप में जीने का आह्वान।
यह पत्री विशेष रूप से उन ईसाइयों के लिए महत्वपूर्ण है जो सत्य, प्रेम, और आत्मा के विषय में स्पष्टता चाहते हैं और झूठे शिक्षकों और विश्वास के असत्य पहलुओं का सामना कर रहे हैं।