इब्रानियों की पत्री (Epistle to the Hebrews) नए नियम की उन्नीसवीं पुस्तक है, जिसमें यीशु मसीह की श्रेष्ठता और नए नियम की व्यवस्था की पुष्टि की गई है। लेखक का नाम स्पष्ट नहीं है, लेकिन परंपरागत रूप से पौलुस को लेखक माना जाता है, जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि यह पत्र किसी अन्य लेखक का हो सकता है।
मुख्य विषय:
- मसीह की श्रेष्ठता:
- यीशु मसीह की देवता और पुरानी व्यवस्था की अपेक्षा में उसकी उच्च स्थिति और भूमिका की पुष्टि।
- पुरानी व्यवस्था की सीमाएँ:
- पुरानी व्यवस्था की अस्थायी और सीमित प्रकृति की आलोचना और नई व्यवस्था की स्थायी और पूर्णता की पुष्टि।
- विश्वास में दृढ़ता:
- विश्वासियों को कठिनाइयों के बावजूद विश्वास में बने रहने और ईसाई जीवन के नैतिक सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रेरित करना।
प्रमुख खंड:
- मसीह की श्रेष्ठता (अध्याय 1-4):
- यीशु मसीह की देवता, उसकी श्रेष्ठता, और पुरानी व्यवस्था की तुलना में उसकी उच्च स्थिति।
- पुरानी व्यवस्था की सीमाएँ और मसीह की नई व्यवस्था (अध्याय 5-10):
- पुरानी व्यवस्था के कर्तव्यों और बलिदानों की सीमाएँ और यीशु के बलिदान और नई व्यवस्था की पूर्णता।
- विश्वास में दृढ़ता और नैतिक आचरण (अध्याय 11-13):
- विश्वासियों के लिए प्रेरणा, ईसाई जीवन के नैतिक सिद्धांत, और विश्वास में दृढ़ता बनाए रखने के लिए मार्गदर्शन।
संरचना:
- अध्याय 1-4:
- यीशु मसीह की श्रेष्ठता और पुरानी व्यवस्था की तुलना में उसकी उच्च स्थिति।
- अध्याय 5-10:
- पुरानी व्यवस्था की सीमाएँ, यीशु का बलिदान, और नई व्यवस्था की पुष्टि।
- अध्याय 11-13:
- विश्वास में दृढ़ता, नैतिक आचरण, और ईसाई जीवन के सिद्धांत।
विशेषताएँ:
- मसीह की श्रेष्ठता:
- यीशु मसीह की देवता और नई व्यवस्था में उसकी प्रमुखता को स्पष्ट करना।
- पुरानी व्यवस्था की आलोचना:
- पुरानी व्यवस्था की अस्थायी प्रकृति और नई व्यवस्था की पूर्णता की पुष्टि।
- विश्वास में दृढ़ता:
- विश्वास में स्थिरता और ईसाई जीवन के नैतिक सिद्धांतों का पालन।
यह पत्री ईसाई विश्वासियों को मसीह की श्रेष्ठता और नई व्यवस्था की पूर्णता की जानकारी प्रदान करती है, और उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी विश्वास में दृढ़ रहने की प्रेरणा देती है।