तीतुस की पत्री (Epistle to Titus) नए नियम की सत्रहवीं पुस्तक है, जिसमें पौलुस ने तीतुस को चर्च के नेतृत्व और प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया है। यह पत्री चर्च की सही शिक्षाओं, नेतृत्व के सिद्धांतों, और व्यक्तिगत नैतिकता पर केंद्रित है।
मुख्य विषय:
- चर्च का प्रशासन और नेतृत्व:
- चर्च के नेतृत्व के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश, योग्यताओं की पुष्टि, और प्रशासन के नियम।
- सच्ची शिक्षा और झूठी शिक्षाएँ:
- सही धार्मिक शिक्षाओं की पुष्टि, झूठी शिक्षाओं का विरोध, और शिक्षा के सिद्धांत।
- नैतिकता और व्यवहार:
- व्यक्तिगत नैतिकता, उचित आचरण, और चर्च के सदस्यों के लिए मार्गदर्शन।
प्रमुख खंड:
- चर्च का नेतृत्व और प्रशासन (अध्याय 1):
- चर्च के नेतृत्व के लिए आवश्यक योग्यताओं और प्रशासनिक भूमिकाओं के निर्देश।
- चर्च के प्रमुखों के लिए विशिष्ट योग्यताएँ और नेतृत्व के सिद्धांत।
- सच्ची शिक्षा और झूठी शिक्षाएँ (अध्याय 2):
- सही धार्मिक शिक्षाओं की पुष्टि और झूठी शिक्षाओं का विरोध।
- धर्मशास्त्र की सही व्याख्या और धार्मिक नैतिकता।
- नैतिकता और व्यवहार (अध्याय 3):
- व्यक्तिगत नैतिकता, उचित व्यवहार, और चर्च के सदस्यों के लिए आचरण के नियम।
- समाज में सही आचरण और ईसाई जीवन के नैतिक सिद्धांत।
संरचना:
- अध्याय 1:
- चर्च का नेतृत्व और प्रशासन के लिए दिशा-निर्देश और योग्यताओं की पुष्टि।
- अध्याय 2:
- सच्ची शिक्षा की पुष्टि और झूठी शिक्षाओं का विरोध।
- अध्याय 3:
- व्यक्तिगत नैतिकता, उचित व्यवहार, और चर्च के सदस्यों के लिए मार्गदर्शन।
विशेषताएँ:
- चर्च का प्रशासन और नेतृत्व:
- नेतृत्व और प्रशासन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और योग्यताओं का वर्णन।
- सच्ची शिक्षा और झूठी शिक्षाएँ:
- सही धार्मिक शिक्षाओं की पुष्टि और झूठी शिक्षाओं का विरोध।
- नैतिकता और व्यवहार:
- व्यक्तिगत आचरण और चर्च के सदस्यों के लिए नैतिक मार्गदर्शन।
यह पत्री तीतुस को चर्च के प्रशासन और नेतृत्व के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करती है, सही शिक्षाओं की पुष्टि करती है, और नैतिकता और उचित आचरण के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करती है।