(2) थिस्सलनीकियों की पत्री (Second Epistle to the Thessalonians) नए नियम की चौदहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने थिस्सलनीका के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य मसीह के पुनरागमन के विषय में स्पष्टता प्रदान करना, गलत शिक्षाओं और शैतानी प्रभावों से बचाना, और ईसाई जीवन के आचरण के बारे में मार्गदर्शन देना था।
मुख्य विषय:
- मसीह का पुनरागमन: मसीह के पुनरागमन के संकेत, उसकी समयसीमा, और इसके बारे में सही विचार।
- गलत शिक्षाएँ और शैतानी प्रभाव: गलत शिक्षाओं और शैतानी प्रभावों के बारे में सचेत रहना और उनके विरुद्ध उपाय।
- ईसाई जीवन का आचरण: उचित आचरण, कार्यशीलता, और व्यक्तिगत जिम्मेदारियाँ।
प्रमुख खंड:
- मसीह के पुनरागमन के संकेत और सच्चाई (अध्याय 1-2):
- मसीह के पुनरागमन के संकेत और उसकी समयसीमा के बारे में स्पष्टता।
- शैतानी प्रभावों का विरोध और गलत शिक्षाओं से बचने के लिए मार्गदर्शन।
- सच्ची शिक्षाएँ और व्यवहार (अध्याय 3):
- ईसाई जीवन के नैतिक पहलू, उचित आचरण, कामकाजी जीवन, और व्यक्तिगत जिम्मेदारियाँ।
संरचना:
- अध्याय 1-2:
- मसीह के पुनरागमन के संकेत और शैतानी प्रभावों का विरोध, और सच्ची शिक्षा की पुष्टि।
- अध्याय 3:
- उचित आचरण, कार्यशीलता, और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों पर मार्गदर्शन।
विशेषताएँ:
- मसीह का पुनरागमन:
- मसीह के पुनरागमन के बारे में स्पष्ट शिक्षाएँ और संकेत।
- गलत शिक्षाएँ और शैतानी प्रभाव:
- गलत शिक्षाओं और शैतानी प्रभावों से बचने के निर्देश।
- ईसाई जीवन का आचरण:
- उचित आचरण, कामकाजी जीवन, और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के नियम।
इस पत्री में पौलुस ने मसीह के पुनरागमन के बारे में अधिक स्पष्टता प्रदान की है, गलत शिक्षाओं और शैतानी प्रभावों के खिलाफ चेतावनी दी है, और ईसाई जीवन के आचरण के बारे में मार्गदर्शन प्रदान किया है।