(1) थिस्सलनीकियों की पत्री (First Epistle to the Thessalonians) नए नियम की तेरहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने थिस्सलनीका के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य चर्च की प्रगति को प्रोत्साहित करना, मसीह के पुनरागमन के बारे में स्पष्टता प्रदान करना, और धार्मिक जीवन के सिद्धांतों को स्पष्ट करना था।
मुख्य विषय:
- विश्वास और प्रोत्साहन: थिस्सलनीका के चर्च की स्थिरता, उनके विश्वास की पुष्टि, और कठिनाइयों के बावजूद प्रोत्साहन।
- मसीह का पुनरागमन: मसीह के पुनरागमन के बारे में शिक्षाएँ और तैयारी के निर्देश।
- संतोषजनक जीवन: ईसाई जीवन के नैतिक पहलू और उचित व्यवहार के नियम।
प्रमुख खंड:
- चर्च की प्रगति और पौलुस का धन्यवाद (अध्याय 1):
- थिस्सलनीका के चर्च की प्रगति की सराहना और उनके विश्वास के लिए पौलुस का आभार।
- पौलुस की सेवकाई और प्रेरणा (अध्याय 2-3):
- पौलुस की सेवकाई की रक्षा और प्रेरणा, तथा चर्च की प्रगति की सराहना।
- मसीह का पुनरागमन (अध्याय 4):
- मसीह के पुनरागमन के विषय में शिक्षाएँ और उसके लिए तैयारी के निर्देश।
- धार्मिक जीवन और व्यवहार (अध्याय 5):
- ईसाई जीवन के नैतिक पहलू, उचित व्यवहार, और व्यक्तिगत जिम्मेदारियाँ।
संरचना:
- अध्याय 1:
- थिस्सलनीका के चर्च की प्रगति, पौलुस का आभार और विश्वास की पुष्टि।
- अध्याय 2-3:
- पौलुस की सेवकाई की रक्षा, प्रेरणा, और चर्च की प्रगति की सराहना।
- अध्याय 4:
- मसीह के पुनरागमन के बारे में शिक्षाएँ और तैयारी के निर्देश।
- अध्याय 5:
- ईसाई जीवन के नैतिक पहलू, उचित व्यवहार, और व्यक्तिगत जिम्मेदारियाँ।
विशेषताएँ:
- विश्वास और प्रोत्साहन:
- थिस्सलनीका के चर्च की स्थिरता और विश्वास को प्रोत्साहित करने का संदेश।
- मसीह का पुनरागमन:
- पुनरागमन के बारे में स्पष्ट शिक्षाएँ और उसकी तैयारी के निर्देश।
- संतोषजनक जीवन:
- नैतिकता और उचित व्यवहार के नियम, जो ईसाई जीवन के लिए आवश्यक हैं।
इस पत्री में पौलुस ने थिस्सलनीका के चर्च की प्रगति की सराहना की है, मसीह के पुनरागमन के बारे में शिक्षाएँ दी हैं, और ईसाई जीवन के नैतिक पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान किया है।