कुलुस्सियों की पत्री (Epistle to the Colossians) नए नियम की बारहवीं पुस्तक है, जिसे पौलुस ने कुलुस्सा के चर्च को लिखा था। इस पत्री का मुख्य उद्देश्य मसीह की पूर्णता और दिव्यता की पुष्टि करना, गलत शिक्षाओं से बचाना, और ईसाई जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करना था।
मुख्य विषय:
- मसीह की पूर्णता: मसीह की दिव्यता, उसकी पूर्णता, और उसके माध्यम से उद्धार का महत्व।
- गलत शिक्षाओं का विरोध: धर्मशास्त्रियों की गलत शिक्षाओं का विरोध और सच्ची शिक्षा की पुष्टि।
- ईसाई जीवन का व्यवहार: व्यक्तिगत नैतिकता, पारिवारिक संबंध, और चर्च के भीतर व्यवहार के नियम।
प्रमुख खंड:
- मसीह की पूर्णता (अध्याय 1-2):
- मसीह की दिव्यता और उसकी पूर्णता की पुष्टि।
- मसीह के माध्यम से उद्धार का महत्व।
- गलत शिक्षाओं और धर्मशास्त्रियों के प्रभाव से बचाव।
- ईसाई जीवन का व्यवहार (अध्याय 3-4):
- व्यक्तिगत नैतिकता और पारिवारिक संबंध।
- चर्च के भीतर व्यवहार के नियम और निर्देश।
संरचना:
- अध्याय 1-2:
- मसीह की पूर्णता और दिव्यता का विवरण।
- उद्धार का महत्व और गलत शिक्षाओं का विरोध।
- अध्याय 3-4:
- व्यक्तिगत नैतिकता, पारिवारिक संबंध, और व्यवहार संबंधी मार्गदर्शन।
विशेषताएँ:
- मसीह की पूर्णता:
- मसीह की दिव्यता और उसकी पूर्णता का स्पष्ट विवरण।
- उसके माध्यम से मिली स्वतंत्रता और उद्धार।
- गलत शिक्षाओं का विरोध:
- धर्मशास्त्रियों की गलत शिक्षाओं का विरोध और सच्ची शिक्षा की पुष्टि।
- ईसाई जीवन का व्यवहार:
- नैतिकता, पारिवारिक संबंध, और व्यक्तिगत व्यवहार के नियम।
कुलुस्सियों की पत्री में पौलुस ने मसीह की दिव्यता और उसकी पूर्णता को प्रमुख रूप से स्पष्ट किया है, साथ ही गलत शिक्षाओं के खिलाफ चेतावनी दी है और ईसाई जीवन के नैतिक और व्यवहारिक पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान किया है।