(2) कुरिन्थियों की पत्री (Second Epistle to the Corinthians) नए नियम की आठवीं पुस्तक है। यह पत्री पौलुस द्वारा कुरिन्थ के चर्च को उनके समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए लिखी गई थी। इसमें पौलुस अपने प्रेरिताई अधिकार की पुष्टि करते हुए, चर्च के अंदरूनी संघर्षों और व्यक्तिगत आध्यात्मिक मुद्दों का समाधान करते हैं।

मुख्य विषय:

  1. पौलुस की सेवकाई की पुष्टि: इस पत्री में पौलुस अपनी प्रेरिताई सेवकाई और अधिकार की पुष्टि करते हैं, जो कुरिन्थ के चर्च के समक्ष चुनौतीपूर्ण था।
  2. धार्मिक और आध्यात्मिक संघर्ष: पत्री में व्यक्तिगत संघर्षों, आत्मिक बलिदान, और चर्च के आंतरिक मुद्दों का समाधान प्रस्तुत किया गया है।
  3. आध्यात्मिक पुनरुत्थान: पौलुस चर्च के लिए आध्यात्मिक पुनरुत्थान और विश्वास की स्थिरता की आवश्यकता पर बल देते हैं।

प्रमुख खंड:

  1. पौलुस की सेवकाई और संघर्ष (अध्याय 1-7): इस खंड में पौलुस अपनी प्रेरिताई सेवकाई की पुष्टि करते हैं, अपने व्यक्तिगत संघर्षों का वर्णन करते हैं, और चर्च के अंदरूनी मुद्दों का समाधान प्रस्तुत करते हैं। वे चर्च के सदस्यों को अपने आत्मिक संघर्षों और सेवा की सच्चाई से अवगत कराते हैं।
  2. आध्यात्मिक पुनरुत्थान और दान (अध्याय 8-9): पौलुस चर्च के सदस्यों को आध्यात्मिक पुनरुत्थान की आवश्यकता और दान के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे उन्हें उदारता और सेवा के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
  3. आध्यात्मिक और नैतिक मुद्दे (अध्याय 10-13): इस खंड में पौलुस चर्च के भीतर आध्यात्मिक संघर्षों का समाधान प्रस्तुत करते हैं। वे अपने विरोधियों को चेतावनी देते हैं और चर्च के सदस्यों के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को स्पष्ट करते हैं।

संरचना:

  1. अध्याय 1-7: पौलुस की सेवकाई की पुष्टि, व्यक्तिगत संघर्ष, और चर्च के मुद्दों का समाधान।
  2. अध्याय 8-9: आध्यात्मिक पुनरुत्थान और दान के महत्व पर बल।
  3. अध्याय 10-13: आध्यात्मिक और नैतिक मुद्दे, पौलुस की चेतावनी, और व्यक्तिगत पत्र।

विशेषताएँ:

  1. पौलुस की प्रेरिताई सेवकाई की पुष्टि: इस पत्री में पौलुस अपने प्रेरिताई सेवकाई और अधिकार की पुष्टि करते हैं, जिससे वे अपने आलोचकों का सामना करते हैं और चर्च को अपना समर्थन प्रदान करते हैं।
  2. धार्मिक और आध्यात्मिक संघर्ष: पौलुस व्यक्तिगत संघर्षों और चर्च के अंदरूनी मुद्दों का समाधान प्रस्तुत करते हैं, जिससे चर्च के सदस्यों को दिशा मिलती है।
  3. आध्यात्मिक पुनरुत्थान: पौलुस चर्च के आध्यात्मिक पुनरुत्थान की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे उनकी आस्था और सेवा में स्थिरता बनी रहे।

(2) कुरिन्थियों की पत्री पौलुस के आत्मिक संघर्षों, उनके प्रेरिताई अधिकार, और चर्च के आंतरिक संघर्षों पर गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह पत्री चर्च के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायक सिद्धांतों का स्रोत है, जो ईसाई जीवन के विभिन्न पहलुओं को सम्बोधित करती है।

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