रोमियों की पत्री (Epistle to the Romans) नए नियम की छठी पुस्तक है, जिसे पौलुस ने लिखा है। यह पत्री रोम के चर्च के सदस्यों के लिए लिखा गया था और इसका उद्देश्य उन्हें ईसाई विश्वास की गहरी समझ और व्यावहारिक दिशा प्रदान करना था। पौलुस ने इस पत्री में उद्धार, विश्वास, और ईसाई जीवन के सिद्धांतों की व्याख्या की है।

मुख्य विषय:

  1. उद्धार का सिद्धांत: इस पत्री का मुख्य विषय पाप, उद्धार, और विश्वास के माध्यम से धार्मिकता प्राप्त करने का सिद्धांत है। पौलुस समझाते हैं कि सभी लोग पापी हैं और केवल विश्वास के माध्यम से ही उद्धार प्राप्त कर सकते हैं।
  2. ईसाई जीवन का मार्गदर्शन: पत्री ईसाइयों को नैतिकता, प्रेम, और धार्मिकता के मार्गदर्शन में निर्देश देती है, जिससे वे ईसाई जीवन का सही मार्ग अपना सकें।
  3. इस्राएल और चर्च: पौलुस इस्राएल के ऐतिहासिक और भविष्यवाणी संबंधों पर चर्चा करते हैं और चर्च के साथ उनके संबंधों को स्पष्ट करते हैं।

प्रमुख खंड:

  1. उद्धार का सिद्धांत (अध्याय 1-4): इसमें पाप, विश्वास के माध्यम से उद्धार, और धार्मिकता की प्रकृति की व्याख्या की गई है। पौलुस बताते हैं कि सभी मनुष्य पापी हैं और विश्वास के माध्यम से ही धार्मिकता प्राप्त की जा सकती है।
  2. धर्म और जीवन (अध्याय 5-8): इस खंड में पवित्र आत्मा के माध्यम से धार्मिकता का जीवन जीने और उसकी चुनौतियों पर विचार किया गया है। पौलुस यहाँ ईसाई जीवन की प्रकृति पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  3. इस्राएल का भविष्य (अध्याय 9-11): इस्राएल के ऐतिहासिक और भविष्यवाणी संबंध, और चर्च के साथ उनके संबंध पर विचार किया गया है।
  4. ईसाई जीवन का मार्गदर्शन (अध्याय 12-15): इस खंड में ईसाई जीवन के नैतिक सिद्धांत और व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया गया है, जिसमें प्रेम, भाईचारे, और सामाजिक व्यवहार पर जोर दिया गया है।
  5. अंतिम वाक्य और अभिवादन (अध्याय 16): इस खंड में पौलुस ने व्यक्तिगत अभिवादन और चर्च के प्रति पत्रिका के समापन विचार व्यक्त किए हैं।

संरचना:

  1. अध्याय 1-4: पाप और उद्धार के सिद्धांत की स्थापना, और विश्वास के माध्यम से धार्मिकता की प्राप्ति।
  2. अध्याय 5-8: ईसाई जीवन, पवित्र आत्मा की भूमिका, और धार्मिकता का जीवन।
  3. अध्याय 9-11: इस्राएल का ऐतिहासिक और भविष्यवाणी दृष्टिकोण और चर्च के साथ उनका संबंध।
  4. अध्याय 12-15: ईसाई जीवन के नैतिक सिद्धांत, सामाजिक व्यवहार, और दूसरों के प्रति प्रेम।
  5. अध्याय 16: व्यक्तिगत अभिवादन, चर्चों और व्यक्तियों के लिए संदेश।

विशेषताएँ:

  1. उद्धार का गहरा सिद्धांत: यह पत्री उद्धार और धार्मिकता की व्यापक और गहरी व्याख्या करती है, जो ईसाई धर्म के सिद्धांतों को स्पष्ट रूप से समझने में मदद करती है।
  2. नैतिक और व्यावहारिक मार्गदर्शन: पौलुस ईसाई जीवन के नैतिक सिद्धांत और व्यावहारिक दिशानिर्देश प्रदान करते हैं, जिससे विश्वासियों को सही मार्गदर्शन मिलता है।
  3. इस्राएल और चर्च का संदर्भ: पत्री में इस्राएल के इतिहास और भविष्यवाणी के साथ चर्च के संबंध पर विचार किया गया है, जिससे उनके आपसी संबंधों को समझा जा सकता है।

रोमियों की पत्री पौलुस की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली पत्रियों में से एक है, जो ईसाई धर्म के सिद्धांतों और आस्थाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है।

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