लूका का सुसमाचार, नए नियम की तीसरी पुस्तक, यीशु मसीह के जीवन, शिक्षाओं, और सेवकाई की एक विस्तृत और व्यवस्थित प्रस्तुति है। इसे पारंपरिक रूप से लूका द्वारा लिखा गया माना जाता है, जो एक चिकित्सक और पौलुस के सहयोगी थे।

मुख्य विषय:

  1. यीशु की मानवता: लूका का सुसमाचार विशेष रूप से यीशु की मानवता और उनकी करुणा पर ध्यान केंद्रित करता है, उन्हें सभी मानवता के उद्धारक के रूप में प्रस्तुत करता है।
  2. सामाजिक न्याय और गरीबों की देखभाल: यह सुसमाचार गरीबों, महिलाओं, और समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के प्रति यीशु की संवेदनशीलता को उजागर करता है।
  3. प्रार्थना और पवित्र आत्मा: प्रार्थना और पवित्र आत्मा के कार्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो लूका के सुसमाचार की एक अनूठी विशेषता है।

प्रमुख खंड:

  1. यीशु का जन्म और प्रारंभिक जीवन (अध्याय 1-2): यीशु की वंशावली, उनके जन्म और प्रारंभिक जीवन की विस्तृत कहानी, जिसमें मसीहा के आगमन की भविष्यवाणियाँ भी शामिल हैं।
  2. सेवकाई की शुरुआत (अध्याय 3-4): यीशु का बपतिस्मा, रेगिस्तान में प्रलोभन का सामना, और उनके मंत्रालय की शुरुआत।
  3. चमत्कार और शिक्षाएँ (अध्याय 4-9): यीशु के विभिन्न चमत्कार, शिक्षाएँ, और शिष्यों के साथ उनके अनुभव।
  4. येरूशलेम की यात्रा (अध्याय 10-19): यीशु की येरूशलेम की ओर यात्रा, जिसमें उनकी शिक्षाएँ और महत्वपूर्ण घटनाएँ शामिल हैं।
  5. पैशन और पुनरुत्थान (अध्याय 20-24): यीशु की गिरफ्तारी, परीक्षण, क्रूस पर चढ़ाई, मृत्यु, और पुनरुत्थान की घटनाएँ।

संरचना:

  1. अध्याय 1-2: यीशु का जन्म और प्रारंभिक जीवन, जिसमें उनका वंश, जन्म की भविष्यवाणियाँ, और प्रारंभिक चमत्कार शामिल हैं।
  2. अध्याय 3-4: यीशु का बपतिस्मा, प्रलोभन का सामना, और सेवकाई की शुरुआत।
  3. अध्याय 4-9: चमत्कार, उपदेश, और शिष्यों के साथ अनुभव, जो यीशु की सेवकाई के विकास को दर्शाते हैं।
  4. अध्याय 10-19: यीशु की यात्रा, शिक्षाएँ, और महत्वपूर्ण घटनाएँ, जो येरूशलेम की यात्रा के लिए उन्हें तैयार करती हैं।
  5. अध्याय 20-24: येरूशलेम में यीशु की अंतिम सप्ताह की घटनाएँ, जिसमें उनके शिष्यों को सिखाना और उनके उद्धारक मिशन की पूर्णता शामिल है।

विशेषताएँ:

  1. विस्तृत वर्णन: लूका का सुसमाचार अन्य सुसमाचारों की तुलना में अधिक विवरण और पार्श्वभूमि जानकारी प्रदान करता है, जिससे यह अधिक समृद्ध और गहराईपूर्ण बनता है।
  2. प्रार्थना और स्तुति: इस सुसमाचार में प्रार्थना और स्तुति को विशेष स्थान दिया गया है, जो लूका के आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  3. सामाजिक न्याय: लूका गरीबों, महिलाओं, और सामाजिक हाशिए पर रहने वाले लोगों के प्रति यीशु की संवेदनशीलता और करुणा को विशेष रूप से उजागर करता है।

लूका का सुसमाचार ईसाई धर्म के मूलभूत सिद्धांतों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो यीशु के जीवन और सेवकाई की मानवता और करुणा को विशेष रूप से उजागर करता है।

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