मरकुस का सुसमाचार, जो पवित्र बाइबिल के नए नियम की दूसरी पुस्तक है, यीशु मसीह के जीवन और उनकी सेवकाई को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य यीशु को ईश्वर के पुत्र और सच्चे मसीहा के रूप में दिखाना है, और यह मुख्यतः गैर-यहूदी पाठकों, विशेष रूप से रोमनों, को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है।
मुख्य विषय:
- यीशु का सक्रिय मंत्रालय: मरकुस का सुसमाचार यीशु के कार्यों पर जोर देता है, जिसमें उनके चमत्कार, शिक्षाएँ, और लोगों को चंगा करने की घटनाएँ शामिल हैं।
- यीशु का संघर्ष: यह सुसमाचार यीशु के धार्मिक नेताओं और शैतान के साथ संघर्ष को भी उजागर करता है।
- सेवा और पीड़ा: मरकुस विशेष रूप से यीशु की सेवा, कष्ट, और क्रूस पर चढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रमुख खंड:
- अध्याय 1: यीशु का बपतिस्मा और उनके मंत्रालय की शुरुआत।
- अध्याय 2-10: यीशु के चमत्कार, शिक्षाएँ, और शिष्यों के साथ उनके अनुभव।
- अध्याय 11-13: येरूशलेम की यात्रा, प्रवेश, और धार्मिक नेताओं के साथ विवाद।
- अध्याय 14-16: यीशु की गिरफ्तारी, परीक्षण, क्रूस पर चढ़ाई, मृत्यु, और पुनरुत्थान।
संरचना:
- अध्याय 1: यीशु का बपतिस्मा, प्रारंभिक चमत्कार, और शिक्षाएँ।
- अध्याय 2-8: यीशु के विभिन्न चमत्कार, शिक्षाएँ, और धार्मिक नेताओं के साथ संघर्ष।
- अध्याय 9-10: शिष्यों के साथ यात्रा और येरूशलेम के लिए मार्ग।
- अध्याय 11-13: येरूशलेम में प्रवेश, विवाद, और भविष्यवाणियाँ।
- अध्याय 14-16: यीशु की पीड़ा, मृत्यु, और पुनरुत्थान।
विशेषताएँ:
- त्वरित शैली: मरकुस का सुसमाचार त्वरित और सक्रिय शैली में लिखा गया है, और इसमें “तुरंत” (यूनानी में “युथुस”) शब्द का बार-बार उपयोग किया गया है, जो कथा को गति देता है।
- कम विवरण: अन्य सुसमाचारों की तुलना में मरकुस का सुसमाचार कम विवरण में है, लेकिन यह यीशु के कार्यों और चमत्कारों पर गहरा ध्यान देता है।
- सहायक संदर्भ: मरकुस के सुसमाचार में यीशु के जीवन के असंख्य पहलुओं की संक्षिप्त, लेकिन प्रभावी प्रस्तुति है, जो इसे एक संक्षिप्त और प्रेरक पाठ बनाती है।
मरकुस का सुसमाचार ईसाई धर्म के पहले और सबसे पुराने सुसमाचारों में से एक माना जाता है, और यह यीशु के जीवन और उनकी शिक्षाओं का सजीव और प्रेरक चित्रण करता है।