योएल बाइबल का तेइसवाँ ग्रंथ है और एक छोटी लेकिन प्रभावशाली पुस्तक है। यह पुस्तक भविष्यवक्ता योएल द्वारा लिखी गई थी और इसमें प्राकृतिक आपदा और परमेश्वर के पुनरुद्धार के विषय पर केंद्रित है।
योएल की पुस्तक को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
भाग 1: विपत्ति और उपवास (अध्याय 1-2)
- इस भाग में योएल ने एक भयंकर कीट पीडा के कारण हुए विनाश का वर्णन किया है।
- इस विपत्ति के कारण लोगों को उपवास और प्रार्थना करने का आह्वान किया गया है।
भाग 2: पुनरुद्धार और आशा (अध्याय 3)
- इस भाग में योएल ने परमेश्वर के आने वाले दिन और पुनरुद्धार की भविष्यवाणी की है।
- इस भाग में पवित्र आत्मा के बौछार की भी भविष्यवाणी की गई है।
योएल की पुस्तक विपत्ति के समय में परमेश्वर की ओर मुड़ने और आशा रखने का संदेश देती है। यह पुस्तक परमेश्वर की दया और पुनरुद्धार की शक्ति को प्रदर्शित करती है।