यशायाह बाइबिल का बीसवाँ ग्रंथ है और इसे भविष्यवक्ताओं की पुस्तक में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। यह पुस्तक यशायाह नामक भविष्यवक्ता द्वारा लिखी गई थी और इसमें इस्राएल और यहूदा के लोगों के लिए परमेश्वर का संदेश है।
यशायाह की पुस्तक में तीन मुख्य भाग हैं:
भाग 1: यहूदा की निंदा और आशा (अध्याय 1-39)
- इस भाग में यशायाह ने यहूदा के लोगों की आध्यात्मिक पतन की निंदा की है।
- साथ ही, उसने भविष्य में आने वाले परमेश्वर के न्याय और पुनरुद्धार की भी भविष्यवाणी की है।
भाग 2: भविष्य की दृष्टि (अध्याय 40-55)
- इस भाग में एक नए स्वर्ग और नई पृथ्वी की भविष्यवाणी की गई है।
- परमेश्वर के सेवक के बारे में एक रहस्यमयी भविष्यवाणी भी इसी भाग में मिलती है।
भाग 3: विदेशी राष्ट्रों और भविष्य (अध्याय 56-66)
- इस भाग में विभिन्न राष्ट्रों के बारे में भविष्यवाणियां की गई हैं।
- यरूशलेम के पुनर्निर्माण और परमेश्वर के राज्य की स्थापना की आशा भी व्यक्त की गई है।
यशायाह की पुस्तक में परमेश्वर की पवित्रता, न्याय, और दया का गहरा संदेश है। यह पुस्तक भविष्य में आने वाले उद्धार और परमेश्वर के राज्य की आशा को जगाती है।