अय्यूब, बाइबिल का सत्रहवाँ ग्रंथ है, जिसमें एक धर्मी व्यक्ति अय्यूब की कठिन परीक्षा की कहानी को बताया गया है। यह पुस्तक मानव दुख, परमेश्वर की प्रभुता, और धैर्य के विषय पर गहराई से विचार करती है।
भाग 1: अय्यूब की संकट (अध्याय 1-2)
- अय्यूब की धार्मिकता: अय्यूब के धार्मिक और निष्पाप जीवन का वर्णन।
- शैतान की चुनौती: शैतान द्वारा परमेश्वर को अय्यूब की धार्मिकता की परीक्षा लेने की चुनौती।
- अय्यूब की विपत्तियाँ: अय्यूब के धन-संपत्ति, बच्चों और स्वास्थ्य का नुकसान।
भाग 2: अय्यूब के मित्रों की बातें (अध्याय 3-31)
- अय्यूब का विलाप: अय्यूब का अपने दुख पर विलाप करना।
- मित्रों की आगमन: अय्यूब के तीन मित्रों का आगमन और उन्हें सांत्वना देने का प्रयास।
- विवाद और बहस: अय्यूब और उसके मित्रों के बीच धर्म और दुख के बारे में बहस।
भाग 3: परमेश्वर का उत्तर (अध्याय 32-42)
- एलियहू का प्रवेश: एक युवा व्यक्ति एलियहू का प्रवेश और उसकी बातें।
- परमेश्वर का उत्तर: परमेश्वर का तूफान से अय्यूब से बात करना और उसकी समझ बढ़ाना।
- अय्यूब का पश्चाताप: अय्यूब का अपने शब्दों पर पश्चाताप और परमेश्वर की महिमा का स्वीकार करना।
- अय्यूब का पुनर्स्थापन: अय्यूब को परमेश्वर द्वारा बहाल किया जाना और आशीष देना।
अय्यूब की पुस्तक मानव दुख, परमेश्वर की प्रभुता, और धैर्य के विषय पर गहराई से विचार करती है। यह पुस्तक हमें परमेश्वर के रहस्यमय तरीकों को समझने और कठिन समय में भी उस पर विश्वास रखने की प्रेरणा देती है।