एज्रा, बाइबुल का चौदहवाँ ग्रंथ है, जो यहूदी लोगों की बाबुल से वापसी और यरूशलेम में मंदिर के पुनर्निर्माण की कहानी को बताता है। यह पुस्तक इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पुनर्निर्माण काल को दर्शाती है।
भाग 1: पहली वापसी (अध्याय 1-6)
- फारस के राजा कुश्रू की घोषणा: फारस के राजा कुश्रू द्वारा यहूदियों को वापस यरूशलेम जाने की अनुमति देने की घोषणा।
- मंदिर का पुनर्निर्माण: यरूशलेम में मंदिर के पुनर्निर्माण की शुरुआत और बाधाएँ।
- दारा प्रथम का आदेश: फारस के राजा दारा प्रथम द्वारा मंदिर के पुनर्निर्माण की अनुमति देने का आदेश।
- मंदिर का समापन: मंदिर का पूरा होने और समर्पण का उत्सव।
भाग 2: एज्रा का आगमन (अध्याय 7-10)
- एज्रा का बुलावा: फारस के राजा अर्तक्षत्र द्वारा एज्रा को यरूशलेम भेजने का आदेश।
- एज्रा की यात्रा: एज्रा की यात्रा और यरूशलेम पहुंचना।
- धार्मिक सुधार: एज्रा द्वारा यहूदी लोगों के बीच विवाह संबंधी सुधार करने का प्रयास।
एज्रा की पुस्तक इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पुनर्निर्माण काल को दर्शाती है, जिसमें परमेश्वर की वफादारी और यहूदी लोगों की दृढ़ता का प्रदर्शन होता है। यह पुस्तक धार्मिक शुद्धता और परमेश्वर के नियमों के पालन के महत्व को भी उजागर करती है।