1 शमूएल, बाइबिल का आठवां ग्रंथ है, जो इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ का वर्णन करता है। यह पुस्तक न्यायियों के काल के अंत से लेकर शाऊल के राज्याभिषेक तक की अवधि को कवर करती है।
भाग 1: शमूएल का जन्म और सेवा (अध्याय 1-7)
- हन्ना की प्रार्थना: हन्ना नामक एक निःसंतान महिला की परमेश्वर से एक पुत्र के लिए प्रार्थना।
- शमूएल का जन्म और समर्पण: हन्ना के पुत्र शमूएल का जन्म और उसे परमेश्वर की सेवा के लिए समर्पित किया जाना।
- शिलोह में शमूएल की सेवा: शमूएल का परमेश्वर के भवन में सेवा करना और परमेश्वर से संदेश प्राप्त करना।
- इस्राएलियों का पाप और परमेश्वर का दंड: इस्राएलियों द्वारा परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन और उसके परिणामस्वरूप शत्रुओं द्वारा पराजय।
भाग 2: शाऊल का राज्याभिषेक (अध्याय 8-15)
- इस्राएलियों की राजा की मांग: इस्राएलियों द्वारा एक राजा की मांग करना।
- शाऊल का चुनाव: शाऊल का परमेश्वर द्वारा राजा चुना जाना।
- शाऊल की विजयें: शाऊल द्वारा अमोनियों और फिलिस्तियों पर विजय प्राप्त करना।
- शाऊल की अवज्ञा: शाऊल द्वारा परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करना।
भाग 3: दाऊद का उदय (अध्याय 16-31)
- दाऊद का चुनाव: दाऊद का परमेश्वर द्वारा भविष्य का राजा चुना जाना।
- दाऊद और गोलियत: दाऊद द्वारा फिलिस्ती योद्धा गोलियत को पराजित करना।
- शाऊल का ईर्ष्या और दाऊद का पीछा: शाऊल द्वारा दाऊद से ईर्ष्या करना और उसे मारने की कोशिश करना।
- शाऊल की मृत्यु: शाऊल और उसके पुत्रों की मृत्यु।
1 शमूएल की पुस्तक इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का वर्णन करती है, जिसमें न्यायियों के काल से राजतंत्र की शुरुआत होती है। यह पुस्तक नेतृत्व, आज्ञाकारिता, और परमेश्वर की योजना के अनुसार जीवन जीने के महत्वपूर्ण सबक प्रदान करती है।