लैव्यव्यस्था, बाइबिल का तीसरा ग्रंथ है, जो इस्राएलियों के लिए पवित्रता, आराधना और परमेश्वर के साथ सही संबंध स्थापित करने के नियमों और विधानों को प्रस्तुत करता है।
भाग 1: पवित्रता के नियम (अध्याय 1-10)
- बलिदान के प्रकार: विभिन्न प्रकार के बलिदानों का वर्णन, जैसे होमबलि, अन्नबलि, शांतिबलि और पापबलि।
- याजकों की पवित्रता: याजकों के लिए विशिष्ट नियम और प्रतिबंध।
- आकस्मिक पाप और अपराधबलि: अनजाने पापों के लिए प्रायश्चित के नियम।
- नादाव और अवीहू की मृत्यु: याजकों के लिए पवित्रता के महत्व का उदाहरण।
भाग 2: कुष्ठ रोग और शुद्धता (अध्याय 11-15)
- शुद्ध और अशुद्ध: विभिन्न वस्तुओं, जानवरों और मानव स्थितियों की शुद्धता और अशुद्धता के नियम।
- कुष्ठ रोग: कुष्ठ रोग के लक्षण, निदान और शुद्धि के नियम।
- स्त्री की शुद्धता: महिलाओं की शारीरिक शुद्धता के संबंध में नियम।
भाग 3: पवित्र समारोह (अध्याय 16-27)
- प्रायश्चित दिवस: इस्राएलियों के पापों के प्रायश्चित के लिए वार्षिक समारोह।
- पवित्र समारोह: विभिन्न त्योहारों और उत्सवों के नियम, जैसे पासका, पेंटेकोस्ट और तम्बू का पर्व।
- नज़र और प्रतिज्ञाएं: व्यक्तिगत प्रतिज्ञाओं और भेंटों के नियम।
लैव्यव्यस्था में वर्णित नियम और विधान इस्राएलियों के जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते थे और उन्हें परमेश्वर के पवित्र लोगों के रूप में जीने की शिक्षा देते थे। यह पुस्तक बाइबिल के अन्य भागों के लिए एक आधार प्रदान करती है और ईसाई धर्म सहित कई धर्मों में पवित्रता और आराधना के सिद्धांतों को प्रभावित करती है।