निर्गमन, बाइबिल का दूसरा ग्रंथ है, जो इस्राएलियों की मिस्र से मुक्ति और सिनाई पर्वत पर परमेश्वर के साथ उनके करार की कहानी को विस्तार से बताता है।
भाग 1: दासता से मुक्ति (अध्याय 1-12)
- दमन और वृद्धि: इस्राएलियों की मिस्र में बढ़ती संख्या और उनके दासता के हालात का वर्णन।
- मूसा का जन्म और बुलावा: एक मिस्री राजकुमार के रूप में मूसा का पालन-पोषण और बाद में परमेश्वर द्वारा उन्हें इस्राएलियों को मुक्त करने के लिए बुलाया जाना।
- दस विपत्तियाँ: मिस्र पर परमेश्वर द्वारा भेजी गई दस आपदाएँ, जिनका उद्देश्य फिरौन को इस्राएलियों को मुक्त करने के लिए मनाना था।
- फसह का पर्व: इस्राएलियों की मिस्र से मुक्ति का अंतिम चरण, जिसमें पहलौठे मारे जाते हैं और इस्राएली लोग निर्गमन करते हैं।
भाग 2: जंगल की यात्रा (अध्याय 13-18)
- लाल सागर का चमत्कार: इस्राएलियों का लाल सागर पार करना, जो परमेश्वर की शक्ति का प्रदर्शन है।
- सिनाई पर्वत की ओर यात्रा: इस्राएलियों का मरुभूमि में यात्रा करना और उनकी चुनौतियाँ।
- मूसा की मध्यस्थता: मूसा द्वारा परमेश्वर और इस्राएलियों के बीच मध्यस्थता की भूमिका।
भाग 3: सिनाई पर करार (अध्याय 19-24)
- परमेश्वर की उपस्थिति: सिनाई पर्वत पर परमेश्वर का प्रकट होना और उसकी महिमा।
- दस आज्ञाएं: परमेश्वर द्वारा इस्राएलियों को दिए गए दस नियम, जो उनके जीवन के आधार बनते हैं।
- करार की स्थापना: परमेश्वर और इस्राएलियों के बीच एक पवित्र करार का निर्माण।
- मूसा की मध्यस्थता: मूसा द्वारा परमेश्वर और इस्राएलियों के बीच मध्यस्थता का जारी रहना।
भाग 4: व्यवस्था का प्रतिपादन (अध्याय 25-40)
- पवित्र तम्बू का निर्माण: परमेश्वर की उपस्थिति के लिए एक पवित्र स्थान का निर्माण।
- पुजारी व्यवस्था: हारून और उसके पुत्रों को पुजारी नियुक्त किया जाना।
- व्यवस्था का विवरण: विभिन्न नियमों, विधानों और आदेशों का विस्तृत विवरण।
निर्गमन की कहानी इस्राएलियों के लिए मुक्ति, पहचान और परमेश्वर के साथ एक विशेष संबंध की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करती है। यह पुस्तक ईसाई धर्म सहित कई धर्मों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथ है।