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यहोशू: वादा किए गए देश की विजय

यहोशू, बाइबिल का छठा ग्रंथ है, जो इस्राएलियों को वादा किए गए देश कनान में ले जाने और उस पर विजय प्राप्त करने की कहानी को बताता है।

भाग 1: नेतृत्व का परिवर्तन (अध्याय 1-4)

  • मूसा की मृत्यु और यहोशू का नेतृत्व: मूसा की मृत्यु के बाद यहोशू को इस्राएलियों का नेता नियुक्त किया जाना।
  • यरदन नदी पार करना: इस्राएलियों का यरदन नदी पार करके कनान में प्रवेश करना।
  • गिलगाल में पहला पासका: इस्राएलियों द्वारा कनान में पहला पासका मनाना और परमेश्वर के साथ करार का नवीनीकरण।

भाग 2: कनान की विजय (अध्याय 5-12)

  • परिचढ़ी का पतन: यहोशू द्वारा परिचढ़ी शहर पर आश्चर्यजनक विजय प्राप्त करना।
  • कनान के राजाओं का गठबंधन: कनान के राजाओं द्वारा इस्राएलियों के खिलाफ गठबंधन बनाना।
  • कनान की विजय: इस्राएलियों द्वारा कनान के विभिन्न शहरों पर विजय प्राप्त करना।

भाग 3: भूमि का विभाजन (अध्याय 13-22)

  • भूमि का वितरण: कनान देश के विभिन्न गोत्रों में वितरण।
  • पूर्वी यरदन के गोत्रों का वादा: पूर्वी यरदन के गोत्रों को उनकी भूमि का वादा।
  • लेवीयों के लिए शहर: लेवीयों के लिए शहरों का आवंटन।

भाग 4: आज्ञापालन और आशीष (अध्याय 23-24)

  • यहोशू की विदाई भाषण: यहोशू द्वारा इस्राएलियों को आज्ञापालन का आदेश और परमेश्वर के प्रति वफादारी का आह्वान।
  • परमेश्वर के साथ करार का नवीनीकरण: इस्राएलियों द्वारा परमेश्वर के साथ करार का नवीनीकरण।
  • यहोशू की मृत्यु: यहोशू की मृत्यु और इस्राएलियों के लिए एक नए युग की शुरुआत।

यहोशू की पुस्तक इस्राएलियों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ का वर्णन करती है, जिसमें परमेश्वर के वादे की पूर्ति और इस्राएलियों का वादा किए गए देश में स्थापित होना शामिल है। यह पुस्तक विश्वास, साहस और परमेश्वर की शक्ति में विश्वास का एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।

क्या आप यहोशू की किसी विशिष्ट घटना या पात्र के बारे में अधिक जानना चाहते हैं?

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