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न्यायियों: संकट और उद्धार का काल

न्यायियों, बाइबिल का सातवां ग्रंथ है, जो इस्राएलियों के कनान देश में बसने के बाद के काल का वर्णन करता है। इस अवधि में इस्राएली लोग बार-बार परमेश्वर से दूर हटते हैं और उसके परिणामस्वरूप विदेशी शक्तियों के अधीन हो जाते हैं। परमेश्वर की दया से, वह समय-समय पर न्यायियों को उठाता है जो उन्हें मुक्ति दिलाते हैं।

भाग 1: कनान में शुरुआती संघर्ष (अध्याय 1-3:4)

  • कनान की अधूरी विजय: इस्राएलियों द्वारा कनान के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त करने के बाद भी, कई कनानी लोग शेष रह जाते हैं।
  • आत्मिक पतन: इस्राएली लोग परमेश्वर से दूर हटकर स्थानीय देवताओं की पूजा करने लगते हैं।
  • दमनकारी शक्तियां: इस्राएलियों पर कनानियों और आसपास के लोगों का दमन शुरू होता है।

भाग 2: न्यायियों का उदय (अध्याय 3:5-16:31)

  • न्यायियों का कार्य: विभिन्न न्यायियों जैसे ओत्नीएल, एहूद, दबोरा, गिदोन, यिप्ताह, और शमशोन का उभार।
  • इस्राएलियों का पतन और उद्धार: इस्राएलियों का बार-बार पाप करना और परमेश्वर द्वारा भेजे गए न्यायियों के द्वारा उद्धार पाना।
  • सामुएल का उदय: न्यायियों के काल के अंत में, भविष्यवक्ता सामुएल का उभार और इस्राएलियों को राजा चुनने की मांग।

न्यायियों की पुस्तक इस्राएलियों के आत्मिक संघर्ष, परमेश्वर की दया और विश्वासयोग्यता, और उनके इतिहास में एक महत्वपूर्ण संक्रमणकाल का वर्णन करती है। यह पुस्तक हमें परमेश्वर की निष्ठा और मानवता की कमजोरियों के बारे में महत्वपूर्ण शिक्षा देती है।

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