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सपन्याह: विनाश और आशा का संदेश

सपन्याह पुराने नियम का एक छोटा पर प्रभावशाली भविष्यवाणी ग्रंथ है। यह मुख्य रूप से यहूदा और आसपास के राष्ट्रों पर आने वाले विनाश की भविष्यवाणी पर केंद्रित है। 

सपन्याह 1:2 में भविष्यवक्ता चेतावनी देता है, “इस से पहिले कि दण्ड की आज्ञा पूरी हो और बचाव का दिन भूसी की नाईं निकले, और यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध तुम पर आ पड़े, और यहोवा के क्रोध का दिन तुम पर आए, तुम इकट्ठे हो।” यह एक कठोर चेतावनी है, लेकिन यह परमेश्वर के न्याय की आवश्यकता को उजागर करती है।  

हालाँकि, सपन्याह की पुस्तक केवल विनाश के बारे में नहीं है। इसमें आशा का भी संदेश है। सपन्याह 3:20 में लिखा है, “मैं तेरे बीच में आनन्द मनाऊंगा, और तेरा शोक दूर कर दूंगा, और तेरा अपमान दूर कर दूंगा।” यह वादा भविष्य के पुनरुद्धार की एक झलक प्रदान करता है।

सपन्याह की पुस्तक हमें परमेश्वर के न्याय और दया दोनों के बारे में सिखाती है। यह हमें याद दिलाती है कि पाप के परिणाम गंभीर होते हैं, लेकिन परमेश्वर की दया हमेशा उपलब्ध होती है। सपन्याह के संदेश में, हम देखते हैं कि परमेश्वर का न्याय अंत नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करता है।

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