...

व्यवस्थाविवरण: पुनरावृत्ति और आज्ञापालन

व्यवस्थाविवरण, बाइबिल का पांचवां ग्रंथ है, जिसमें मूसा द्वारा इस्राएलियों को वादा किए हुए देश में प्रवेश करने से पहले उनके जीवन के नियमों और परमेश्वर के साथ उनके संबंधों की पुनरावृत्ति की जाती है।

भाग 1: मूसा का भाषण (अध्याय 1-34)

  • मरुभूमि की यात्रा का स्मरण: मूसा द्वारा इस्राएलियों की मरुभूमि में यात्रा के दौरान हुई घटनाओं का पुनरावृत्ति।
  • वाचा का स्मरण: परमेश्वर द्वारा इस्राएलियों से किए गए वादों का स्मरण।
  • आज्ञापालन का आदेश: इस्राएलियों को परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने का आदेश दिया जाता है।
  • आशीष और शाप: आज्ञापालन के फलस्वरूप मिलने वाले आशीषों और आज्ञाभंग के परिणामस्वरूप होने वाले शापों का वर्णन।

भाग 2: व्यवस्था का पुनरावृत्ति (अध्याय 12-28)

  • उपासना के नियम: परमेश्वर की उपासना के लिए नियमों का पुनरावृत्ति।
  • नैतिक नियम : नैतिक जीवन के लिए आवश्यक नियमों का उल्लेख।
  • शास्त्रों नियम : समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए कानून।

भाग 3: नियम और आशीष (अध्याय 29-34)

  • करार का नवीनीकरण: इस्राएलियों से परमेश्वर के साथ करार का नवीनीकरण करने का आदेश।
  • आशीष और शाप का पुनरावृत्ति: आज्ञापालन और आज्ञाभंग के परिणामों का दोहराव।
  • मूसा की मृत्यु: मूसा की मृत्यु और उसके उत्तराधिकारी यहोशू का नियुक्ति।

व्यवस्थाविवरण पुस्तक इस्राएलियों के लिए परमेश्वर की आज्ञाओं का महत्व, उनके जीवन के हर पहलू में परमेश्वर की उपस्थिति और उनके भविष्य के लिए परमेश्वर की योजना को रेखांकित करती है। यह पुस्तक बाइबिल के अन्य भागों के लिए एक आधार प्रदान करती है और ईसाई धर्म सहित कई धर्मों में नैतिक और आध्यात्मिक जीवन के सिद्धांतों को प्रभावित करती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Seraphinite AcceleratorOptimized by Seraphinite Accelerator
Turns on site high speed to be attractive for people and search engines.